mahatma gandhi information in hindi/महात्मा गांधी की जीवनी
महात्मा गांधी भारतीय राजनीति में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं लेकिन उससे भी पहले पूरा देश उनको जिस सम्मान की दृष्टि से देखता है वह सम्मान ना तो किसी और व्यक्तित्व को मिला है और ना आने वाली कई शताब्दियों तक मिलने की संभावना है| राष्ट्रपिता के नाम से सुशोभित महात्मा गांधी देश की अमूल्य धरोहर में से एक है क्योंकि उनका सम्मान और उनके विचारों का निगमन ना केवल भारतीय करते हैं भारत के बाहर भी बहुत बड़ी संख्या में लोग गांधी जी के विचारों और कार्यों को सम्मान की दृष्टि से देखते हैं|
एक और अनोखी कहानी
mahatma gandhi information in hindi/महात्मा गांधी की जीवनी
महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था और इनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर में हुआ था| महात्मा गांधी के पिता जी का नाम करमचंद गांधी था| उस समय के चलन के अनुसार गांधी जी के पिता जी ने भी चार विवाह किए थे| पेशे से दीवान करमचंद गांधी स्वयं नहीं जानते थे कि जब उनकी चौथी पत्नी अपने सबसे छोटी संतान को जन्म देगी तो वह पुत्र भारत की स्वतंत्रता का प्रमुख पात्र बनेगा और इतिहास के पन्नों में स्वयं के साथ पूरे परिवार का नाम दर्ज करवाएगा| महात्मा गांधी की माताजी का नाम पुतली बाई था| गांधी जी की माताजी पुतली बाई ने अपना संपूर्ण जीवन धार्मिक कार्यों में ही व्यतीत किया| उन्होंने कथित पति जीवन में वस्तुओं को महत्व नहीं दिया उनका ज्यादा समय या तो मंदिर में या तो घरेलू कार्यों में ही बीता था| वास्तव में वह परिवार को समर्पित अध्यात्मिक महीला थी| बिमार की सेवा करना, व्रत-उपासना करना उनके दैनिक जीवन में शामिल हैं| गांधी जी के परवरिश एक ऐसे माहौल में हुई जहां पर वैष्णव मई माहौल था और जैन धर्म के मॉडल्स थे इसलिए वह शाकाहारी भोजन, अहिंसा, व्रत उपवास की जीवनशैली में विश्वास रखते थे जिससे मन को शुद्ध किया जा सके|
महात्मा गांधी का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
बंदर में शिक्षा की पर्याप्त सुविधाएं न होने के कारण मोहनदास ने अपनी प्राथमिक शिक्षा मुश्किल परिस्थितियों में पूरी की थी| उन्होंने मिट्टी में अंगुलियों से उकेर कर वर्णमाला सीखी थी| बाद में किस्मत से उनके पिता को राजकोट में दीवानी मिल गई थी जिससे उनके समस्या काफी हद तक कम हो गई थी| मोहनदास ने अपने स्कूल के दिनों में काफी नाम जीते| 1887 में गांधी जी ने यूनिवर्सिटी आफ मुंबई से मैट्रिक कि परीक्षा पास कि और भावनगर के सामलदास कॉलेज को जॉइन किया जहां पर उन्होंने अपनी मातृभाषा गुजराती को छोड़कर इंग्लिश सीख कि इसके कारण उन्हें पाठ समझने में परेशानी भी हुई| इसी दौरान उनका परिवार उनके भविष्य को लेकर काफी चिंतित था क्योंकि वह डॉक्टर बनना चाहते थे लेकिन वैष्णव परिवार के होने के कारण डॉक्टर का काम नहीं कर सकते थे| इसलिए उनके परिवार वालों को लगा कि उन्हें अपने परिवार की परंपरा को निभाते हुए गुजरात के किसी हाई ऑफिस में अधिकारी के पद पर लगना होगा इसलिए उन्हें बैरिस्टर बनना होगा और उस समय मोहनदास भी सामलदास कॉलेज से खुश नहीं थे| वह यह सुनकर खुश हो गए उस समय कि उनकी युवावस्था ने भी उन्हें इंग्लैंड के कई सपने दिखाए थे| उनके पिता उनके लिए बहुत कम संपत्ति और पैसे छोड़ गए थे और उनकी मां भी उन्हें विदेश भेजने से डर रही थी| लेकिन गांधी जी अपने निर्णय पर अडिग थे उनके भाइयों ने आवश्यक पैसों का इंतजाम किया और इस तरह सितंबर 1888 को वह रवाना हो गये| वहां पहुंचने के 10 दिनों बाद उन्होंने लंदन लॉक इसमें इनर टेंपल को जॉइंट कर लिया| 1891 में इंग्लैंड से भारत लौटने पर उन्होंने वकालत में अपनी जगह बनाने की शुरुआत की अपने पहले कोर्ट केस में वह बहुत परेशान थे और जब वहां गवाह के सामने उन्हें बोलने का समय आया तो वह भूल गए और वह कोर्ट से बाहर आ गए| उन्होंने अपने क्लाइंट को उसकी फीस भी लौटा दी|mahatma gandhi information in hindi/महात्मा गांधी की जीवनी
कुछ समय करने के बाद साउथ अफ्रीका में इन्हें लीगल सर्विस का एक साल का कॉन्ट्रैक्ट मिला था इस कारण अप्रैल 1893 को वह साउथ अफ्रीका के लिए रवाना हो गए| वहां उन्हें रंगभेद का सामना करना पड़ा दबंग के कोर्ट रूम में उन्हें अपनी पगड़ी हटाने को कहा गया जिससे उन्होंने मना कर दिया और उन्होंने कोर्ट रूम छोड़ दिया| 7 जून 1893 को ट्रेन ट्रिप के दौरान उनके जीवन में एक घटना घटी जिसने उनकी जिंदगी बदल कर रख दी| वह विदेश जा रहे थे तभी यह अंग्रेज ने उनके फर्स्ट क्लास कंपार्टमेंट में बैठने पर आपत्ति की जबकि उनके पास टिकट था उन्होंने ट्रेन से उतरने से मना कर दिया| इसलिए उन्हें किसी स्टेशन पर ट्रेन से नीचे फेंक दिया गया उनका यह अपमान उन्हें अंदर तक प्रभावित कर गया और उन्होंने खुद को इस रंगभेद के विरुद्ध लड़ने के लिए तैयार किया| उन्होंने उस रात यह प्रतिज्ञा की कि वह इस समस्या को जड़ से समाप्त कर देंगे इस तरह उस रात एक सामान्य आदमी से महानायक गांधी का जन्म हुआ| गांधी ने रंगभेद से लड़ने के लिए 1894 में नेटल इंडियन कांग्रेस की स्थापना की|
एक और अनोखी कहानी
mahatma gandhi information in hindi/महात्मा गांधी की जीवनी
कुछ समय तक भारत में रहने के बाद गांधी जी अपने पत्नी और बच्चों के साथ साउत आफ्रिका लौट गए| वहां उन्होंने लीगल प्रैक्टिस कि| विश्व उद्ध के दौरान उन्होंने अफ्रीका में ब्रिटिश सरकार की मदद की थी उनका मत था कि यदि भारतीय ब्रिटिश एंपायर में अपने मूलभूत नागरिक अधिकार चाहते हैं तो उन्हें भी अपने कर्तव्यों को पूरा करना होगा| वास्तव में गांधी जी ने अपने जीवन में पहले भारत-साउथ अफ्रीका में ही नागरिक समानता के लिए रैली निकाली और अपने non-violent प्रोटेस्ट को सत्याग्रह का नाम दिया इस कारण वहां उन्हें कुछ समय के लिए जेल हुई| उन्होंने कुछ परिस्थितियों में ब्रिटिश का सपोर्ट भी किया| सत्याग्रह अहिंसात्मक और असहयोग आंदोलन 1906 में गांधी जी ने अपने जीवन का पहला असहयोग आंदोलन किया जिन्हें उन्होंने सत्याग्रह का नाम दिया| यह असहयोग आंदोलन साउथ अफ्रीका के ट्रांसवाल गवर्नमेंट में भारतीयों पर लगाई जाने वाली पाबंदियों पर था| जिसमें हिंदू विवाह को नहीं माना भी शामिल था| कई वर्षों तक चले इस संघर्ष के बाद सरकार ने गांधी जी के साथ कई भारतियों को जेल में डाल दिया था आखिरकार दबाव के चलते साउथ अफ्रीका की सरकार ने गांधी और जनरल जैन कृष्ण स्मार्ट के मध्य हुए समझौते को स्वीकार कर लिया था| जिसके अनुसार वहां पर हिंदू विभाग को भी मान्यता मिली और भारतीयों के लिए टोल टैक्स को समाप्त किया गया| गांधी जी 1954 में जब भारत लौटे तरह स्मार्ट ने लिखा था संत ने हमारा साथ छोड़ दिया मैं हमेशा उनके लिए प्रार्थना करता हूं इसके बाद विश्व युद्ध प्रथम के समय गांधी जी ने कुछ महीने लंदन में बिताए थे|
चंपारण और खेड़ा आंदोलन
1918 में गांधीजी ने ब्रिटिस के खिलाफ चंपारण आंदोलन का नेतृत्व किया था| उस समय अंग्रेजों द्वारा नील की खेती के संबंध में किसानों पर जो नियम लगाए जा रहे थे उस से व्यथित होकर आखिर में इन किसानों ने गांधी जी से सहायता मांगी थी जिसका परिणाम अहिंसक आंदोलन के रूप में हुआ और जिसमें गांधी जी की जीत हुई|1918 में खेड़ा में जब बाढ़ आई तब वहां के किसानों को टैक्स में छूट की सख्त आवश्यकता थी| उस समय भी गांधी जी ने अहिंसक आंदोलन से अंग्रेजों तक अपनी बात पहुंचाई इस आंदोलन में भी गांधी जी को बहुत बड़ा जनसमर्थन मिला और अंततः मे 1918 में सरकार ने टैक्स की राशि को छूट दे दी गई और इस तरह गांधी जी ने धीरे-धीरे करके ब्रिटिश राज के खिलाफ आंदोलन जारी किया| भारत में गांधी जी का पहला असहयोग आंदोलन 1919 में भारत में जब ब्रिटिश का शासन था तब गांधी जी राजनीतिक आंदोलन कर रहे थे उस समय रोलट एक्ट आया था जिसके अनुसार बिना किसी सुनवाई के क्रांतिकारियों को सजा दी जा सकेगी ऐसा प्रावधान अंग्रेजों ने बनाया था| गांधी जी ने इसका पुरजोर विरोध किया उन्होंने इसके खिलाफ सत्याग्रह और शांतिपूर्ण आंदोलन किए इसी दौरान अमृतसर में जलियांवाला बाग हत्याकांड में हुआ जिसमें ब्रिटिश ब्रिगेडियर जनरल डायर ने सैकड़ों लोगों को गोलियों से भून दिया था| गांधी जी से बहुत नाराज हुए और उन्होंने ब्रिटिश दारा भारतीयों को वर्ल्ड वॉर में भाग लेने की अनिवार्यता का भी विरोध किया| इस तरह गांधी इंडियन होम रूल मूवमेंट का प्रमुख चेहरा बन गए और अंग्रेजों के संपूर्ण बहिष्कार का आह्वान किया| छात्रों को सरकारी स्कूल में नहीं जाने के लिए, सैनिकों को अपना पद छोड़ने के लिए, नागरिकों को टैक्स न भरने के लिए और ब्रिटिश समान न खरीदने के लिए भी प्रेरित किया| उन्होंने खुद भी ब्रिटिश तरह बनाए गए कपड़ों के स्थान पर चरखा लगाकर खादी का निर्माण करने पर ध्यान केंद्रित किया और यही चरखा जल्द ही भारतीय स्वतंत्रता का प्रतीक बन गया|
एक और अनोखी कहानी
mahatma gandhi information in hindi/महात्मा गांधी की जीवनी
गांधी ने कांग्रेस की लीडरशिप की और होमरूल के लिए अहिंसा और असहयोग आंदोलन की नीव रखी| ब्रिटिश सरकार ने 1922 में गांधी जी पर राष्ट्रों के तीन धारा लगाकर उन्हें नष्ट कर लिया| अच्छे वर्ष के कारागार में डाल दिया और गांधी जी को उनकी अपेंडिक्स सर्जरी के बाद फ़रवरी 1924 में छोड़ा गया| जब वह स्वतंत्र हुए तो उन्होंने देखा कि भारत में मुस्लिम हिंदू दूसरे के खिलाफ़ खड़े हो चुके हैं इसलिए इस साल उन्होंने 3 महीने के लिए उपवास रखा| उसके बाद वह आगामी कुछ सालों तक राजनीति से दूर ही रहे| 1930 में गांधी जी ने वापिस सक्रिय राजनीति में पदार्पण किया और उन्होंने ब्रिटिश सरकार का नमक आंदोलन का विरोध किया इस नियम के अनुसार भारतीय नमक बना सकते थे और न बेच सकते थे और नमक पर भी कर लगा दिया गया| जिसके कारण गरीब भारतीयों को समस्या का सामना करना पड़ रहा था| गांधी जी ने इसका विरोध करने के लिए एक नए तरह का सत्याग्रह किया जिसमें वह 390 किलोमीटर चलकर अरेबियन सागर तक गए, वहां पर उन्होंने प्रतिकात्मक रूप से नमक खट्टा किया| इस मार्च से एक दिन पहले ही उन्होंने लॉर्ड इरविन को लिखा था ‘मेरा उद्देश्य सिर्फ एक ही है कि मैं अहिंसात्मक तरीके से ब्रिटिश सरकार को यह महसूस करवाऊंगा कि वह भारतीयों के साथ कितना गलत कर रहे हैं’| 12 मार्च के दिन गांधी ने एक दो तीन और शॉल पहनकर एक लकड़ी के साथ कि साबरमती से यह मार्च शुरू किया था, जिसके 24 दिन बाद वह कोस्टल टाउन थाने पहुंचे और वहां उन्होंने व्यक्तिगत होने वाले समुद्र जल से नमक बनाकर अंग्रेजों के बनाए हुए नियमों को तोड़ा| इस तरह इस नमक यात्रा से पूरे देश में क्रांति की लहर दौड़ गई लगभग साठ हजार भारतीयों को नियम तोड़ने के जुर्म में जेल में डाला गया| जिसमें गांधी जी खुद भी शामिल थे|
एक और अनोखी कहानी
इसके कारण वह भारत में ही नहीं पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हो गए और 1929 नहीं टाइम मैगजीन ने उन्हें मैन ऑफ द ईयर का खिताब दिया| वैरी 1931 में उन्हें जेल से छोड़ा गया और इसके भी 2 महीने बाद उन्होंने लॉर्ड इरविन समझौता किया और नमक सत्याग्रह समाप्त किया| इस समझोते के अनुसार हजारों राजनीतिक बंदियों को रिहा किया गया उसके साथ यह भी उम्मीद जागी कि स्वराज के लिए यह सत्यग्रह मील का पत्थर साबित होगा| गांधी जी ने 1931 में लंदन में आयोजित इंडियन नेशनल कांग्रेस के मुख्य प्रतिनिधि के रूप में भाग लिया हालांकि यह कॉन्फ्रेंस निरर्थक साबित हुई| 1932 में गांधी जी लंदन से लौटे और उन्हें वापस जेल में डाल दिया गया| उस समय भारत का एक नया वायसराय लॉर्ड विलिंगडन आया था इसके बाद जब गांधी जी बाहर आए तो 1934 में उन्होंने इंडियन नेशनल कांग्रेस की लीडरशिप छोड़ दी और उसकी जगह जवाहरलाल नेहरू ने संभाली और इस तरह गांधी जी फिर राजनीति से दूर हो गए| उन्होंने अपना ध्यान शिक्षा, गरीबी व अन्य समस्याएं उस पर लगाया| 1942 में द्वितीय विश्व युद्ध छिड़ गया ग्रेट ब्रिटेन जब इस युद्ध में उलझा हुआ था तब गांधी जी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की| अगस्त 1942 में अंग्रेजों ने गांधी जी उनकी पत्नी और इंडियन नेशनल कांग्रेस के अन्य नेताओं को गिरफ्तार कर लिया| इन सबको पुणे में रखा गया 19 महीनों बाद गांधी जी को रिहा किया गया लेकिन उनकी पत्नी की मृत्यु जेल में ही हो गई| 1945 में जब ब्रिटिश के आम चुनाव में लेबर पार्टी ने चर्चिल के कंजर्वेटिव पार्टी को हटा दिया तब इंडियन नेशनल कांग्रेस और मुस्लिम लीग के मोहम्मद अली जिन्ना ने देश की स्वतंत्रता की मुहिम को और तेज कर दिया था| जिसमें गांधी जी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई लेकिन वह विभाजन को नहीं रोक सके और धर्म के आधार पर भारत दो टुकड़ों भारत और पाकिस्तान में बट गया|
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गांधी जी से जुड़े हुए कुछ रोचक तथ्य इस तरह है गांधी जी को अब तक पांच बार नोबेल प्राइज के लिए नामांकित किया जा चुका है और कमेटी इस बात के लिए अफसोस जता चुकी है कि कभी पर अवार्ड नहीं मिला गांधी जी फॉर कॉन्टिनेंट और बिल देशों में सिविल राइट्स मूवमेंट के लिए जिम्मेदार थे| उनके लिए विश्व व्यापी सम्मान और उनकी अनुयायियों की संख्या का अंदाजा इस प्रकार लगाया जा सकता है कि महात्मा गांधी की शव यात्रा आठ किलोमीटर लंबी थी| गांधी जी ने अपने जीवन में 5 वर्ष फ्रूट, नट्स और चीज पर बिताएं फिर गिरते स्वास्थ्य के कारण यह छोड़ दिया था| उन्होंने शुरू हुए दूध से बनी खाद्य सामग्री को भी स्वीकार नहीं किया गया था| लेकिन अपने खराब स्वास्थ्य के कारण उन्होंने बकरी का दूध पीना चालू किया था| उनके बहुत सारे उपवासों को देखकर गवर्नमेंट ने न्यूट्रीशनिस्ट को यह बताने के लिए बुलाया था कि गांधी जी बिना भोजन के 21 दिन तक कैसे रह सकते हैं|
गांधीजी की हत्या कैसे हुई
30 जनवरी 1948 के दिन 78 वर्षीय गांधीजी जो की भूख हड़ताल से टूट चुके थे| उन्होंने नई दिल्ली के बिड़ला हाउस में रह मीटिंग के लिए प्रस्थान किया उस समय एक व्यक्ति नाथूराम गोडसे प्वाइंट ब्लैंक रेंज में तीन बार गोली मारकर हत्या कर दी| अहिंसा के पुजारी का हिंसा के साथ अंत होना पूरे देश के लिए एक दुखद समाचार लेकर आया| गोडसे और उनके साथी को इस जुर्म में नवंबर 1949 में फांसी पर चढ़ाया गया और उनके साथ में ले अन्य साथियों को अजीवन कारावास का दंड सुनाया गया|
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