कैलाश पर्वत कि कहानी/kailash parvat

कैलाश पर्वत कि कहानी/kailash parvat

हमारी पृथ्वी पर एक से बढ़कर एक बड़े-बड़े पर्वत मौजूद हैं| लेकिन बात अगर दुनिया के सबसे रहस्यमई पर्वत के की जाए तो ऐसे में कैलाश पर्वत का नाम सबसे ऊपर आता है, क्योंकि यह पर्वत इतना ज्यादा रहस्यमई है कि आज तक दुनिया का कोई भी इंसान इस पर चढ़ाई कर नही पाया| तिब्बत में मौजूद इस पर्वत को हिंदू धर्म के अंदर पवित्र माना जाता है क्योंकि पौराणिक कथाओं में इस पर्वत को सृष्टि के निर्माता कहे जाने वाले भगवान शिव का निवास स्थान बताया गया है| इस पर्वत से जुड़े ऐसे सैकड़ों रहस्य हैं जिन्हें आज तक दुनिया का बड़े से बड़ा वैज्ञानिक भी नहीं सुलझा पाया है|

कैलाश पर्वत कि कहानी/kailash parvat

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हिंदू धर्म में कैलाश पर्वत को पवित्र माना जाता है क्योंकि हिंदू धर्मग्रंथों और पौराणिक कथाओं में यह कहा गया है कि भगवान शिव ने कैलाश पर्वत पर ही अपनी समाधि लगाई थी और आज भी वह अपने परिवार के साथ इस पर्वत पर रहते हैं| हालांकि दुनिया के कुछ दूसरे धर्मों में इस पर्वत को लेकर अपनी अलग मान्यता हैं| तिब्बत में रहने वाले बौद्ध धर्म के अनुयायियों का ऐसा मानना है कि बुद्ध भगवान के अलौकिक प्रेम चौक कैलाश पर्वत पर ही रहते हैं| इसलिए दोस्तों धर्म में भी इस पर्वत को पूजनीय माना जाता है| इसके अलावा जैन धर्म के लोग ऐसा मानते हैं कि उनके प्रथम तीर्थकर रिषभ को इसी पर्वत पर निर्माण की प्राप्ति हुई थी और वे लोग कैलाश पर्वत को अष्टापद कहकर बुलाते हैं|कैलाश पर्वत कि कहानी/kailash parvat

कैलाश पर्वत की ऊंचाई 21 हजार 778 फीट के आसपास है और इसके पश्चिम और दक्षिण दिशाओं में मानसरोवर और राक्षस ताल नाम की मशहूर जिले मौजूद है| साथ ही इस पर्वत से दुनिया की कई मशहूर अभी निकलती हैं जिसमें ब्रह्मापुत्र, सिंधु और सतलज जैसी विशाल नदियों के नाम भी शामिल है| अब ऊंचाई के हिसाब से अगर देखें तो यह दुनिया का सबसे ऊंचा पर्वत नहीं है क्योंकि माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई 29041 फिट है जो कि कैलाश पर्वत से कहीं ज्यादा बड़ा है| लेकिन कैलाश पर्वत की खुफियां उसकी ऊंचाई में नहीं बल्कि उससे जुड़े रहस्यों में पता चलती है इस पर्वत को यदि दूर से देखा जाए तो यह बर्फ में दबे हुए एक विशाल शिवलिंग के जैसा नजर आता है| इस पवित्र पर्वत को देखने का मौका केवल उन्हीं खुशनसीबों को मिलता है जो अमरनाथ की यात्रा पर जाते हैं| इस यात्रा के दौरान लोगों को तिब्बत की पर्वत श्रृंखलाओं से उतरना पड़ता है, जहां यह भव्य पर्वत नजर आता है|कैलाश पर्वत कि कहानी/kailash parvat

कैलाश पर्वत का सबसे बड़ा रहस्य यह है कि आज तक कोई भी इंसान इस पर चढ़ाई नहीं कर सकता है जबकि दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत माउंट एवेरेस्ट पर अब तक 5000 से ज्यादा लोग पढ़ाई कर चुके हैं| बताया जाता है कि कोई व्यक्ति अगर कैलाश पर्वत पर चढणे की कोशिश करता है तो रह समय तरीके से उसकी मौत हो जाती है| दुनिया के बहुत से लोग जो इस पर्वत पर चढ़ने की कोशिश किए हैं आज तक लौटकर नहीं आ पाए| कोई नहीं जानता कि कैलाश पर्वत पर आखिर उन लोगों के साथ क्या हुआ था| लोगों के इस पवित्र पर्वत पर न चढ़ पाने के पीछे कई अलग-अलग वजह बताई जाती हैं| हिंदू धर्म के बहुत से लोग यह मानते हैं कि जो व्यक्ति दुनिया में अच्छे कर्म करता है उसको मरने के बाद कैलाश पर्वत में जगह दी जाती है क्योंकि इस पर्वत को अच्छी आत्माओं का घर माना गया है| इस जगह को अलौकिक शक्तियों का केंद्र भी माना जाता है, लोग कहते हैं कि कोई भी जीवित इंसान इस पर्वत की चोटी पर नहीं पहुंच सकता|

कैलाश पर्वत कि कहानी/kailash parvat

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कैलाश पर्वत के बारे में इसी तरह ना जाने कितनी कहानियां मशहूर है और बहुत से लोग इन कहानियों के पीछे की हकीकत को जानने की कोशिश भी कर चुके हैं| ऐसे ही एक कोशिश साल 1999 में रूस की एक रहने वाले आंखों के डॉक्टर अर्नेस्ट मुलदाशेव ने भी की थी| डॉक्टर अर्नेस्ट मुलदाशेव ने कैलाश पर्वत पर जाने के लिए एक स्पेशल टीम बनाई थी उनकी इस टीम में जियोलॉजिस्ट, फिजिसिस्ट और इतिहासकार शामिल थे| अपनी टीम के साथ मौजूद राशियों कई दिनों तक कैलाश पर्वत के ऊपर खोज करते रहे और जब वह इस पर्वत से लौटकर वापस आए तो उन्होंने इसको लेकर एक कहानी पूरी दुनिया के सामने रखी| डॉक्टर अर्नेस्ट मुलदाशेव ने दावा किया कि कैलाश पर्वत कोई पर्वत नहीं बल्कि इंसानों द्वारा बनाया गया एक विशाल पिरामिड है| उनका कहना था कि यह पिरामिड प्राचीन काल में बनाया गया था और यह चारों तरफ से छोटे-छोटे पिरामिडों से घिरा हुआ है| हालांकि डॉक्टर अर्नेस्ट मुलदाशेव अपने इन दाओ को कभी साबित नहीं कर पाए, लेकिन उनकी बातों ने कैलाश पर्वत को और भी ज्यादा रहस्यमय बना दिया|

एक और चीज जो इस जगह को इतना मिस्टीरियस बनाती है वह यह यहां पर समय काफी तेजी से गुजरता है| यहां जाने वाले बहुत से लोग इस बात का दावा कर चुके हैं ने बताया जाता है कि हमारे बालों और नाखूनों के जितनी लंबाई दो हफ्तों में बढ़ती है उतनी कैलाश पर्वत पर सिर्फ 12 घंटों में ही बढ़ जाती है| लोग कहते हैं कि इस पहाड़ के लिए स्थगित समय कुछ अजीब ही घंटे चलता है इसके अलावा यहां जाने वाले लोग अकसर इस पर्वत के बारे में अजीब अजीब तरह की बातें बताते हैं| उस दिन पहले एक व्यक्ती ने कि दावा किया था इस पर्वत को चलना तो दूर की बात इस पर कुछ पल के लिए ठहर ना भी असंभव है उसने बताया कि पर्वत पर जाते ही दिमाग में एक भ्रम पैदा हो जाता है| जिसकी वजह से इंसानों को दिशाओं का कोई भी अंदाजा नहीं रहता| इतना ही नहीं इस पहाड़ पर मैग्नेटिक कंपास भी सही ढंग से काम नहीं करता और ऐसा क्यों होता है इसका जवाब किसी आम इंसान तो किया वैज्ञानिकों के पास भी नहीं है|

कैलाश पर्वत कि कहानी/kailash parvat

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कुछ साल पहले रूस के एक मशहूर क्लाइंब सेर्गेय चीस्त्याकोव ने कैलाश पर्वत पर चढ़ने की ठानी थी हालांकि को पर्वत के नजदीक तो गए लेकिन वह उस पर चढ़ाई किए बिना ही वापस लौट आए| बाद में रूप से ऐसा करने का वजह पूछा गया तो उन्होंने लोगों को कई चौंकाने वाली बातें बताएं तर गई ने कहा कि जब मैं कैलाश पर्वत के नजदीक पहुंचा तो अचानक मेरा दिल जोर जोर से धड़कने लगा| मैं उस पर्वत के ठीक सामने खड़ा था जिस पर मुझे पढ़ाई करनी थी लेकिन मेरा शरीर एकदम से कमजोर पड़ गया था| मेरे दिमाग में खुद यह ख्याल आया कि मुझे इस पर्वत पर नहीं चडना चाहिए और यह सोचकर मैं वहां से तुरंत वापस लौट गया| और जैसे ही मैं इस पर्वत से थोड़ा दूर हुआ मेरी कंडीशन अपने आप ही नॉर्मल हो गए| इस तरह की घटनाएं कैलाश पर्वत के रहस्य को और भी ज्यादा उलझा देती हैं वैसे तो ज्यादातर लोग यही जानते हैं कि आज तक इस पर्वत पर कोई भी इंसान नहीं चल पाया है| लेकिन हम आपको बता दें कि एक व्यक्ति इस पर्वत पर चढ़ने में सफल हुआ था|

11वीं शताब्दी में तिब्बत के रहने वाले एक बहुत ही योगी मिलारेपा इस दुनिया के वह पहले और आखिरी इंसान से जिन्होंने कैलाश पर्वत की चोटी पर पैर रखा था| लेकिन बताया जाता है कि इस घटना के बाद से कह पार्वती कंडीशन हमेशा के लिए बदल गई थी| आज के समय की अगर बात की जाए तो इस समय इस पर्वत के ऊपर चढ़ाई करने पर रोक लगा दी गई है क्योंकि भारत तिब्बत और नेपाल के साथ दुनिया के कई देश यह मानते हैं कि यह पर्वत पवित्र है और इससे करोड़ों लोगों की आस्था जुड़ी हुई है इसलिए किसी भी व्यक्ति का इस पर्वत पर चढ़ाई करना बिल्कुल भी ठीक नहीं है|कैलाश पर्वत कि कहानी/kailash parvat

वेदों में कैलाश पर्वत को ब्रह्मांड का आंच बताया गया है और आज दुनिया के बहुत से वैज्ञानिक भी इस पर्वत को धरती का केंद्र मानते हैं| वैज्ञानिक बताते हैं कि हमारी पृथ्वी पर धरती के एक तरफ उत्तरी ध्रुव है तो वहीं दूसरी तरफ दक्षिणी ध्रुव इन दोनों धर्मों के ठीक बीच में हिमालय पर्वत मौजूद है और हिमालय पर्वत का केंद्र कैलाश पर्वत को माना जाता है| नाभी इंसानों के शरीर का केंद्र होता है ठीक वैसे ही धरती का केंद्र कैलाश पर्वत होता है| इसके बारे में यह कहा जाता है यह धरती का वह बिंदु है जहां आकार इस धरती से आकर मिलता है| और इसी बिंदु उपयोगकर्ताओं दिशाओं का मिलन होता है| बहुत से लोग यह दावा करते हैं कि उन्होंने कैलाश पर्वत के आसपास आसमान में साथ अलग-अलग तरह के प्रकाश को देखा है और लोग इसको एक विशेष प्रकार की दिव्य रोशनी मानते हैं| इस सबके अलावा भी एक और चीज है वह यह कि इसके आसपास हमेशा एक आवाज उठती रहती है यदि आप मानसरोवर झील के पास जाएंगे तो पर्वत से आपको एक आवाज सुनाई देगी, जो गौर से सुनने पर एक डमरू के बचने और ओम पूजने की आवाज़ रखती है|

वैज्ञानिकों का ऐसा मानना है कि यह आवाज हवाओं के पहाड़ों सेन टकराने और बर्फ के पिघलने के कारण उत्पन्न होता है लेकिन दोस्तों यह वैज्ञानिकों का सिर्फ अनुमान है और वह आज तक इस बात को साबित नहीं कर पाए हैं| असल में दोस्तों इस आवाज का असली स्रोत आज तक कोई भी पता नहीं लगा पाया है और यही सब चीजें कैलाश पर्वत को दुनिया का सबसे अनोखा और मिस्टीरियस पर्वत बनाता है| कैलाश पर्वत कि कहानी/kailash parvat बहुत बहुत धन्यवाद है

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